क्या नर्मदा मैया कोई संकेत दे रही थीं?
मैं इसके लिए पहले से ही तैयार था. मैं पूरे दिन उसके बारे मे सोचता रहा. उसी की वजह से हम आज इस यात्रा पर थे.
Travel Kaa Desi Adda
मैं इसके लिए पहले से ही तैयार था. मैं पूरे दिन उसके बारे मे सोचता रहा. उसी की वजह से हम आज इस यात्रा पर थे.
सुबह-सुबह पक्षियों की हल्की आवाज़ और उगता सूरज. ऐसा लगा जैसे कितने सालों से बस इसी की ख्वाहिश थी. हल्की ठंड में काफ़ी देर तक कॉटेज के बाहर…
लेकिन बिना प्लान के जो प्लान बनता है ना वो होता गज़ब है. तो होता ये है कि जाना था जापान और पहुंच गए चीन.
आज की रात इस खूबसूरत से गांव में गुजारनी थी. चाँद की रोशनी में. जंगल की आवाज़ रात भर अपने होने का एहसास कराती रही.
मैं सोच रहा हूं कि लोग कभी-कभी अपनी इच्छाओं की पूर्ति चक्कर में दूसरों की निजता तक को भूल जाते हैं.
हमारी हर इच्छा मांगने के साथ ही पूरी होती गयी. मैंने यह बात जब लोगों को बतायी तो वे मुस्कुराते हुये बोले – “आगे-आगे देखो होता है क्या?”
…सिक्के का दूसरा पहलू कुछ और है. क्या हम इसलिए निंदा नहीं करें कि सबकुछ ठीक है और हमारे पक्ष में है?
बैकपैकिंग ट्रिप्स हमेशा मजेदार होती हैं, खासकर तब जब आपके पास ‘बोझ’ ज्यादा ना हो!