छत्तीसगढ़ डायरी: डोंगरगढ़ – सिटी ऑफ़ ब्लिस
कुछ जगहों के बारे में हम लिख नहीं सकते सिर्फ महसूस ही कर सकते हैं. ये जगह वैसी ही थी. महसूस करने और खुद को यहां की पॉजिटिव वाइब्स में डुबा देने की.
Travel Kaa Desi Adda
कुछ जगहों के बारे में हम लिख नहीं सकते सिर्फ महसूस ही कर सकते हैं. ये जगह वैसी ही थी. महसूस करने और खुद को यहां की पॉजिटिव वाइब्स में डुबा देने की.
छत्तीसगढ़ में हों तो बिना छत्तीसगढ़ी व्यजंन चखे यात्रा अधूरी रहेगी. और इसका जायका हमेशा के लिए बस जाएगा जुबां पर.
सुबह-सुबह पक्षियों की हल्की आवाज़ और उगता सूरज. ऐसा लगा जैसे कितने सालों से बस इसी की ख्वाहिश थी. हल्की ठंड में काफ़ी देर तक कॉटेज के बाहर…
ये मेरी पहली विदेश यात्रा थी जहां बिना वीजा पासपोर्ट के जाना था. पासपोर्ट में घुन लग गया, या शायद दीमक खा गए, काहे कि उस पे आजतक एयरपोर्ट पे कोई ठप्पा नहीं लग पाया.
यहां की शांति और खूबसूरती के बीच रेत पर पड़ती सूरज की किरणें यह बताती हैं कि प्रकृति कितनी खूबसूरत है.
यहां आने के बाद से अभी तक एक बार भी मैंने अपनी बांसुरी को छुआ नहीं. मैं इसे नहीं बजा पाने को मिस कर रहा था.
मुझे नर्मदा से प्यार हो रहा है, धीरे-धीरे, ठीक वैसे ही जैसे हर किसी ने मुझे इसे अपनाने को कहा था.
जल्द ही हमें कुछ आवाज़ें सुनाई दीं जो हमें वापस दूसरी तरफ जाने के लिए कह रही थीं. हमें समझ नहीं आ रहा था कि असल में कौन क्या कहना चाहता था.