छत्तीसगढ़ डायरी: डोंगरगढ़ – सिटी ऑफ़ ब्लिस
कुछ जगहों के बारे में हम लिख नहीं सकते सिर्फ महसूस ही कर सकते हैं. ये जगह वैसी ही थी. महसूस करने और खुद को यहां की पॉजिटिव वाइब्स में डुबा देने की.
Travel Kaa Desi Adda
कुछ जगहों के बारे में हम लिख नहीं सकते सिर्फ महसूस ही कर सकते हैं. ये जगह वैसी ही थी. महसूस करने और खुद को यहां की पॉजिटिव वाइब्स में डुबा देने की.
छत्तीसगढ़ में हों तो बिना छत्तीसगढ़ी व्यजंन चखे यात्रा अधूरी रहेगी. और इसका जायका हमेशा के लिए बस जाएगा जुबां पर.
आज की रात इस खूबसूरत से गांव में गुजारनी थी. चाँद की रोशनी में. जंगल की आवाज़ रात भर अपने होने का एहसास कराती रही.
जो काम मैंने बन मक्खन के साथ किया था अगर बन मक्खन की कोई सोसाइटी होती तो उस वक़्त मेरे खिलाफ प्रोटेस्ट चालू हो चुका होता.
पहाड़ों में इतनी शांति ऐसी अजीब होती है कि आपको अपनी साँसें भी सुनाई देने लगती है. एक सूं सा सन्नाटा कान के चारों और चीखता है.
….मैं मन ही मन खुश हुई कि चलो इन्होंने अकेली लड़की वाला ज्ञान नहीं दिया वरना आंटियों का आधा खून तो इसी में जल जाता है.
एक दिन इस लड़की ने उठाया बैग और निकल पड़ी कुछ अनजान रास्तों से दोस्ती करने, कुछ अनजान लोगों को जानने…
ग्रुप्स में घूमने का यह नुकसान भी होता है कि आपको सब के हिसाब से चलना पड़ता है लेकिन सोलो ट्रैवेलिंग आपको इंडिपेंडेंट बनाती है.