छत्तीसगढ़ डायरी: डोंगरगढ़ – सिटी ऑफ़ ब्लिस
कुछ जगहों के बारे में हम लिख नहीं सकते सिर्फ महसूस ही कर सकते हैं. ये जगह वैसी ही थी. महसूस करने और खुद को यहां की पॉजिटिव वाइब्स में डुबा देने की.
Travel Kaa Desi Adda
कुछ जगहों के बारे में हम लिख नहीं सकते सिर्फ महसूस ही कर सकते हैं. ये जगह वैसी ही थी. महसूस करने और खुद को यहां की पॉजिटिव वाइब्स में डुबा देने की.
लेकिन बिना प्लान के जो प्लान बनता है ना वो होता गज़ब है. तो होता ये है कि जाना था जापान और पहुंच गए चीन.
….मैं मन ही मन खुश हुई कि चलो इन्होंने अकेली लड़की वाला ज्ञान नहीं दिया वरना आंटियों का आधा खून तो इसी में जल जाता है.
”सभी के पास आंखें हैं लेकिन कुछ की अपग्रेडेड हैं. उनकी आंखों में स्कैनर लगे हैं और जैसे ही कोई महिला देखते हैं वो इसे एक्टिवेट कर लेते हैं.”
ग्रुप्स में घूमने का यह नुकसान भी होता है कि आपको सब के हिसाब से चलना पड़ता है लेकिन सोलो ट्रैवेलिंग आपको इंडिपेंडेंट बनाती है.
यह खड़ी ढाल के रूप में घुमावदार मार्ग पर बनाया गया है, जहाँ पहुँचने पर हाथियों की गति धीमी हो जाती थी.
किला घूमने के बाद यहां आप आराम से बैठकर चाय की चुस्कियां लेते हुए सकून के पल गुजार सकते हैं.